उत्तराखंड की घस्यारियों ने निभाई मानवता की मिसाल: घायल विदेशी नागरिक को बचाया

अमस्यारी गांव में हुआ हादसा

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के अमस्यारी गांव में उस वक्त भावुक कर देने वाला दृश्य देखने को मिला, जब कुछ ग्रामीण महिलाएं एक घायल विदेशी नागरिक की मदद के लिए देवदूत बनकर सामने आईं। शनिवार शाम को 55 वर्षीय रूसी नागरिक बोरिस अपने साथी इगोर के साथ ग्वालदम से गरुड़ की ओर पैदल यात्रा कर रहे थे। पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए जब वे अमस्यारी गांव के समीप पहुंचे, तो अचानक उनका पैर फिसल गया और वे खेत में गिरकर घायल हो गए।

भाषा नहीं समझ पाईं, लेकिन भावनाएं समझ गईं

घायल अवस्था में बोरिस की आवाज सुन कुछ महिलाएं, जो घास काटकर लौट रही थीं, वहां पहुंचीं। बोरिस ने उन्हें हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगाई, लेकिन भाषा की बाधा बीच में थी। बोरिस की बातें वे समझ नहीं पाईं, लेकिन उनके चेहरे पर दर्द और मदद की उम्मीद साफ नजर आ रही थी।

महिलाओं ने बिना देर किए दिखाई दरियादिली

ग्रामीण महिलाएं – हेमा जोशी, अनीता जोशी, चंद्रा जोशी और सीमा परिहार – तुरंत सक्रिय हो गईं। उन्होंने गांव से स्ट्रेचर मंगवाया और बोरिस को सावधानी से खेत से उठाकर सड़क तक पहुँचाया। वहां से फिर उन्हें आगे सहायता मिलने में आसानी हुई।

सर्जन साथी ने किया प्राथमिक उपचार

घटना की जानकारी मिलने पर बोरिस का साथी इगोर, जो पेशे से एक सर्जन हैं, और एक अन्य सहयोगी पंकज कुशवाहा मौके पर पहुंचे। इगोर ने मौके पर ही बोरिस का प्राथमिक उपचार किया। इसके बाद तीनों लोग एक निजी वाहन से गरुड़ की ओर रवाना हुए, जहां वे पहले से तय होम स्टे में ठहरे हुए थे।

पुलिस ने की कार्रवाई

सूचना मिलने पर बैजनाथ थाने के प्रभारी प्रताप सिंह नगरकोटी अपनी टीम के साथ उस होम स्टे पहुंचे, जहां ये रूसी नागरिक ठहरे थे। पूछताछ में यह सामने आया कि बोरिस, इगोर और उनका साथी भारत टूरिस्ट वीजा पर घूमने आए हैं और वर्तमान में 10 दिन के उत्तराखंड भ्रमण पर हैं। हालांकि, होम स्टे संचालक द्वारा पुलिस को पूर्व सूचना न देने के चलते पुलिस ने संचालक लोहुमी पर पुलिस एक्ट 52 (3) 84 के तहत कार्रवाई करते हुए ₹5000 का चालान कर दिया।

विदेशी पर्यटक की जान बचाकर बनाई मिसाल

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे प्रेरणादायक भूमिका निभाई गांव की महिलाओं ने। जहां एक ओर भाषा का अंतर था, वहीं दूसरी ओर मानवता की भावना ने उस अंतर को मिटा दिया। घास लेकर लौट रही महिलाएं मदद के लिए आगे आईं, स्ट्रेचर मंगवाया और बिना किसी संकोच के घायल विदेशी नागरिक को सुरक्षित सड़क तक पहुंचाया।

स्थानीय लोगों की प्रशंसा

ग्रामीणों और सोशल मीडिया पर लोगों ने महिलाओं के इस साहसी और मानवीय कार्य की खूब सराहना की है। गांव की ये महिलाएं आज उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो अक्सर सोचते हैं कि “हम क्या कर सकते हैं?”।

पर्यटन को मिला नया संदेश

यह घटना पर्यटन के क्षेत्र में भी एक सकारात्मक संदेश देती है। जहां एक ओर देश-विदेश से लोग उत्तराखंड की सुंदरता देखने आते हैं, वहीं दूसरी ओर यहां के लोग अपने अतिथियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, ये उदाहरण बन गया है।

सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी

इस घटना ने यह भी उजागर किया कि स्थानीय प्रशासन को ऐसे टूरिस्ट हॉटस्पॉट्स पर सुरक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था और मजबूत करनी चाहिए। साथ ही, होम स्टे जैसे प्राइवेट एकॉमोडेशन को भी जिम्मेदारी के साथ नियमों का पालन करना होगा।

अंत में

उत्तराखंड की इन घस्यारियों ने एक बार फिर साबित किया कि पहाड़ की महिलाएं सिर्फ घर और खेत तक सीमित नहीं हैं, वे किसी भी संकट में फरिश्ता बनकर सामने आ सकती हैं। बोरिस की जान बचाकर उन्होंने न केवल एक विदेशी पर्यटक की मदद की, बल्कि विश्वभर में भारत की अतिथि-सत्कार परंपरा को नई पहचान दी

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