रुद्रप्रयाग बना देश का पहला जिला जिसने विकसित किया अपना इंट्रानेट

उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। यह देश का पहला जिला है जिसने अपना वायरलेस इंट्रानेट नेटवर्क स्थापित किया है। इस नेटवर्क के जरिए रुद्रप्रयाग के 250 किमी क्षेत्र को जोड़ा गया है। इससे प्रशासनिक कार्यों में तेजी आने के साथ-साथ आपदा प्रबंधन और शिक्षा व्यवस्था में भी बड़ा सुधार होगा। इस पहल से जिले की सुरक्षा, शिक्षा और आपदा राहत प्रबंधन को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) डॉ. सौरभ गहरवार ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। उनके नेतृत्व और प्रयासों के कारण ही यह प्रोजेक्ट आज साकार हो पाया है। उन्होंने इस नेटवर्क को विकसित करने के लिए जिला योजना, खनन न्यास निधि और अन्य स्रोतों से वित्तीय सहायता प्राप्त कर इसे जिले की सेवा में लगाया।

डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क की स्थापना से बढ़ी सुरक्षा

रुद्रप्रयाग जिले ने “डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क” नामक इंट्रानेट स्थापित किया है। यह नेटवर्क जिले के 250 किमी क्षेत्र को कवर करता है और आपदा या अन्य अप्रिय घटनाओं की सूचना प्रशासन तक तुरंत पहुंचाने में मददगार साबित होगा।

यह नेटवर्क आपदा स्थलों की निगरानी, हाईवे और संपर्क मार्गों की देखरेख, तथा यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सहायक है। इसके माध्यम से जिले के किसी भी हिस्से में आपदा या दुर्घटना होने पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी। आपदा प्रबंधन के लिहाज से यह नेटवर्क अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ऑनलाइन शिक्षा में क्रांति

इस इंट्रानेट नेटवर्क का लाभ केवल प्रशासन तक सीमित नहीं है। रुद्रप्रयाग जिले के 36 दूरस्थ स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने में यह नेटवर्क बेहद सहायक साबित हो रहा है। अब विद्यार्थियों को घर बैठे ऑनलाइन शिक्षा का लाभ मिलेगा, जिससे शिक्षा का स्तर सुधरेगा और दूरदराज के इलाकों में पढ़ाई में आने वाली बाधाएं कम होंगी।

केदारनाथ यात्रा में नेटवर्क का महत्वपूर्ण योगदान

केदारनाथ यात्रा 2025 के दौरान भी इस इंट्रानेट नेटवर्क का उपयोग व्यवस्थाओं की निगरानी, यात्रियों की सुरक्षा और सूचना के आदान-प्रदान में किया जाएगा। यह नेटवर्क यात्रा मार्ग की सुरक्षा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा।

केदारघाटी के महत्वपूर्ण स्थलों को इस नेटवर्क से जोड़ा गया है, जिससे सोनप्रयाग और सीतापुर जैसे क्षेत्रों में भी संचार व्यवस्था बेहतर हो गई है। यह नेटवर्क केदारघाटी के 10 हेलिपैड्स को भी कवर करता है, जिससे हवाई सेवाओं की निगरानी भी आसानी से की जा सकेगी।

हवाई नेटवर्क पर कोई प्रभाव नहीं

इस वायरलेस इंट्रानेट नेटवर्क को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए कई टॉवर लगाए गए हैं। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि आपदा और अन्य परिस्थितियों में हवाई नेटवर्क को कोई नुकसान न पहुंचे। यह नेटवर्क फ्रीक्वेंसी-हॉपिंग स्प्रेड स्पेक्ट्रम तकनीक का उपयोग करता है, जिससे नेटवर्क में किसी प्रकार की रुकावट या अन्य तकनीकी समस्याएं उत्पन्न नहीं होंगी।

कंट्रोल रूम से चौबीस घंटे निगरानी

इस इंट्रानेट नेटवर्क का कंट्रोल रूम जिला आपदा नियंत्रण कक्ष में स्थापित किया गया है। यहां से चौबीस घंटे पूरे नेटवर्क की निगरानी की जाएगी। यह निगरानी न केवल आपदा स्थलों तक सीमित है, बल्कि घोड़ों और खच्चरों के पंजीकरण, हाईवे, संपर्क मार्ग, और पार्किंग क्षेत्रों की भी निगरानी की जाएगी।

आधुनिक सॉफ्टवेयर का उपयोग

डीएम डॉ. सौरभ गहरवार के अनुसार, यह इंट्रानेट एक विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए संचालित होता है। इस सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य सूचना का आदान-प्रदान और नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इससे प्रशासनिक कार्यों में तेजी लाई जा सकेगी और आपदा प्रबंधन में भी अत्यधिक सहायता मिलेगी।

केदारनाथ यात्रा की तैयारियों पर नजर

केदारनाथ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु यात्रा मार्ग पर आते हैं। इस इंट्रानेट नेटवर्क के जरिए यात्रा मार्ग पर चल रही व्यवस्थाओं, सुरक्षा, और स्वास्थ्य सुविधाओं की निगरानी भी प्रभावी ढंग से की जा सकेगी। साथ ही आपदा स्थलों की स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी, जिससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से निपटने में सहायता मिलेगी।

तकनीकी क्रांति की शुरुआत

रुद्रप्रयाग का यह वायरलेस इंट्रानेट नेटवर्क एक नई तकनीकी क्रांति की शुरुआत है। यह न केवल जिले को डिजिटली सशक्त बनाएगा, बल्कि देश के अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

विस्तारित लाभ और भविष्य की संभावनाएं

इस नेटवर्क के विस्तारित लाभों में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना, संचार व्यवस्था को मजबूत करना, और प्रशासनिक कार्यों में तेजी लाना शामिल है। भविष्य में इस नेटवर्क का दायरा और भी बढ़ाया जा सकता है, जिससे अधिक क्षेत्रों को जोड़ा जा सके। आपदा प्रबंधन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में इस नेटवर्क की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगी

रुद्रप्रयाग जिले द्वारा विकसित यह वायरलेस इंट्रानेट नेटवर्क न केवल तकनीकी विकास का प्रतीक है, बल्कि आपदा प्रबंधन, शिक्षा, और यात्रा सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में इसे एक गेम-चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। डीएम डॉ. सौरभ गहरवार और उनकी टीम के प्रयासों ने इसे संभव बनाया है और यह नेटवर्क भविष्य में जिले की डिजिटल प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा। यह नेटवर्क अन्य जिलों और राज्यों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बन सकता है, जो डिजिटल इंडिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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