देशभर में गुस्सा, हमले की कड़ी निंदा
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया है। नागरिकों से लेकर राजनेताओं तक, हर वर्ग से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस हमले ने एक बार फिर देश की सुरक्षा व्यवस्था और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाने की आवश्यकता पर बहस छेड़ दी है।
मोहन भागवत का बड़ा बयान: “अहिंसा हमारा धर्म, लेकिन…”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने इस गंभीर घटना पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“हमारा मूल धर्म अहिंसा है, लेकिन कुछ लोग नहीं बदलते। चाहे कुछ भी करो, अगर कोई बुराई पर उतर आए तो उसे सबक सिखाना भी हमारा धर्म है।”
भागवत ने जोर देकर कहा कि भारत की परंपरा हमेशा से शांतिप्रिय रही है। भारत ने न कभी किसी पड़ोसी पर आक्रमण किया है और न ही किसी का अपमान किया है। फिर भी अगर कोई देश या आतंकवादी ताकतें बुराई का रास्ता चुनती हैं, तो उनका मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी है।
“राजा का धर्म है प्रजा की रक्षा करना”
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा,
“राजा का पहला कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना। अगर रक्षक ही अपने दायित्व से चूके, तो समाज में अराजकता फैल जाती है। ऐसे में राजा को कठोर कदम उठाने में संकोच नहीं करना चाहिए।”
भागवत का इशारा साफ था कि सरकार को और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवाद के खिलाफ और भी अधिक सख्त और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए।
पहलगाम हमला: क्या हुआ था?
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया था। इस हमले में कई जवान शहीद हुए और कुछ घायल भी हुए हैं। आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया, जिससे सुरक्षाबलों को संभलने का मौका नहीं मिला। इसके बाद इलाके में तलाशी अभियान चलाया गया, और सेना ने जवाबी कार्रवाई शुरू की।
देशवासियों की मांग: आतंकियों को सख्त सजा
पहलगाम हमले के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं। आम नागरिकों की मांग है कि आतंकवादियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और उनके समर्थकों पर भी शिकंजा कसा जाए। सोशल मीडिया पर भी ‘JusticeForMartyrs’ जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
इस हमले के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी बयान जारी किए हैं। सभी ने एक सुर में इस घटना की निंदा की और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। कई नेताओं ने सरकार से आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाने की मांग की।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की उम्मीद
जानकारों के मुताबिक, भारत इस हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आवाज उठा सकता है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं के समक्ष पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा फिर से जोर पकड़ सकता है।
अब निर्णायक कार्रवाई का समय
पहलगाम जैसे हमले यह याद दिलाते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। मोहन भागवत का बयान देश की भावना को व्यक्त करता है कि अब केवल संयम नहीं, बल्कि ठोस और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। देश को अपने शहीदों के बलिदान का सम्मान करते हुए आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़ना होगा।
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