उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर का विरोध: जनता के आक्रोश का कारण

स्मार्ट मीटर को लेकर उत्तराखंड में बढ़ता विरोध

उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में सरकार द्वारा स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन कई स्थानों पर इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। हाल ही में पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने ऊर्जा निगम की टीम का विरोध करते हुए उन्हें बंधक बना लिया। पुलिस को मौके पर पहुंचकर कर्मचारियों को छुड़ाना पड़ा।

विरोध के पीछे कारण

स्थानीय लोगों का मानना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिल में अनावश्यक बढ़ोतरी होगी। जनता को डर है कि ये मीटर मनमानी बिलिंग को बढ़ावा देंगे और इससे आम लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। वहीं, सरकार का दावा है कि स्मार्ट मीटर से बिजली उपभोक्ताओं को फायदा होगा और उन्हें अनावश्यक बिलिंग से राहत मिलेगी।

कोटद्वार में हुआ विरोध

रविवार को ऊर्जा निगम की टीम जब कोटद्वार के आमपडाव मोहल्ले में स्मार्ट मीटर लगाने पहुंची, तो वहां के निवासियों ने इसका जोरदार विरोध किया। लोगों ने कर्मचारियों को गाली-गलौज करते हुए उन्हें बंधक बना लिया। सूचना मिलने पर ऊर्जा निगम के अवर अभियंता सचिन कुमार मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय निवासी नहीं माने। अंततः पुलिस को बुलाना पड़ा, जिसने बड़ी मुश्किल से कर्मचारियों को मुक्त कराया। इस घटना के बाद दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जबकि क्षेत्रीय पार्षद के पति आशाराम को गिरफ्तार कर लिया गया।

अन्य क्षेत्रों में भी विरोध

कोटद्वार ही नहीं, उत्तराखंड के कई अन्य इलाकों में भी स्मार्ट मीटर का भारी विरोध हो रहा है। कई जगहों पर लोगों ने पहले से लगाए गए स्मार्ट मीटरों को उखाड़कर सड़कों पर फेंक दिया है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि स्मार्ट मीटर से बिजली कंपनियों को बिल में मनमानी बढ़ोतरी करने की छूट मिलेगी और इससे आम जनता को नुकसान होगा।

सरकार का पक्ष

सरकार का तर्क है कि स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली चोरी कम होगी और उपभोक्ताओं को उनके वास्तविक खपत के अनुसार ही बिल भरना पड़ेगा। इससे अनावश्यक बिलिंग समाप्त होगी और बिजली वितरण प्रणाली अधिक पारदर्शी बनेगी।

समाधान की जरूरत

स्मार्ट मीटर को लेकर जनता और प्रशासन के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार को जनता की शंकाओं का समाधान निकालना होगा, ताकि इस तकनीक का सही लाभ आम नागरिकों तक पहुंचे। साथ ही, प्रशासन को इस मुद्दे पर पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए ताकि जनता का भरोसा बना रहे।

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