कानपुर पुलिस ने एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर सवा लाख से अधिक लोगों को ठग चुका था। इस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें दो युवतियां भी शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि यह गैंग 2015 से सक्रिय था और बड़े स्तर पर साइबर धोखाधड़ी को अंजाम दे रहा था।
कैसे हुआ खुलासा?
डीसीपी क्राइम एसएम कासिम आब्दी के अनुसार, यह गिरोह नौकरी.कॉम जैसी वेबसाइटों से डेटा निकालकर लोगों को निशाना बनाता था। पुलिस को शिकायत मिली कि एक व्यक्ति से 26,800 रुपये की ठगी की गई है। साइबर सेल ने जब जांच शुरू की तो गिरोह के काम करने के तरीके और उनके नेटवर्क का पता चला।
गिरोह के प्रमुख सदस्य
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में चमनगंज की आरिबा, किदवईनगर की कीर्ति गुप्ता, चौबेपुर के अनुराग दीक्षित और गाजियाबाद का हरिओम पांडेय शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, गिरोह में कुल 15 लोग शामिल थे और अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।
कैसे करते थे ठगी?
- फर्जी वेबसाइट और ऑनलाइन इंटरव्यू
- गिरोह ने Elite Global Careers और Overseas Consultancy नाम की फर्जी वेबसाइटें बना रखी थीं।
- ये वेबसाइटें विदेश में नौकरी के लिए आकर्षक ऑफर देती थीं।
- व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल करके फर्जी इंटरव्यू लिए जाते थे।
- फेक सिम और डेटा चोरी
- आरोपियों ने नौकरी.कॉम से डेटा निकालकर हजारों लोगों को फोन किया।
- फर्जी सिम कार्ड से कॉल कर नौकरी का झांसा दिया जाता था।
- इंटरव्यू और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर मोटी रकम ऐंठी जाती थी।
- जोइपर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल
- इस गिरोह ने वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP) कॉलिंग के लिए Joiper Software का उपयोग किया।
- इससे विदेशी कंपनियों के असली नंबर की नकल कर कॉल की जाती थी, जिससे ठगी का शिकार बने लोगों को विश्वास हो जाता था कि वे वास्तव में किसी विदेशी कंपनी से बात कर रहे हैं।
पुलिस ने क्या बरामद किया?
गिरफ्तार आरोपियों से पुलिस ने:
- 3 लैपटॉप
- 9 स्मार्टफोन
- 14 की-पैड मोबाइल
- 8 सिम कार्ड
- 2 बैंक पासबुक
- 7 डेबिट कार्ड
- 1 कार बरामद की है।
आगे की कार्रवाई
डीसीपी कासिम आब्दी ने बताया कि गिरोह के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस बाकी 11 फरार आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है। साथ ही, इस केस का खुलासा करने वाली टीम को 20,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई है।
गिरोह के 10 साल के अपराधों की पूरी कहानी
कैसे बढ़ता गया गिरोह?
2015 में कुछ लोगों ने साइबर ठगी से पैसा कमाने की योजना बनाई और नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी शुरू की। पहले यह छोटे स्तर पर काम कर रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे उनकी ठगी सफल होने लगी, उन्होंने अपनी रणनीति बदली और बड़े स्तर पर लोगों को ठगना शुरू कर दिया।
सवा लाख से अधिक लोगों को बनाया शिकार
अब तक, यह गिरोह देशभर में सवा लाख से अधिक लोगों को ठग चुका है। ठगी की रकम करोड़ों में बताई जा रही है। ये अपराधी बेरोजगार युवाओं और विदेश में काम करने के इच्छुक लोगों को निशाना बनाते थे।
कैसे चलता था फर्जी कॉल सेंटर?
- आरिबा के घर में एक कमरा पूरी तरह से कॉल सेंटर की तरह सेटअप किया गया था।
- वहां से देशभर के लोगों को कॉल किया जाता था।
- हर कॉल के लिए अलग-अलग नंबर और नाम का इस्तेमाल किया जाता था।
कैसे हुआ गिरोह का पर्दाफाश?
जब पंजाब के अमृतसर निवासी विकास ने चकेरी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उससे 26,800 रुपये की ठगी हुई है, तो साइबर सेल ने जांच शुरू की। जैसे-जैसे ट्रांजैक्शन का पता चला, पुलिस को बड़े नेटवर्क की जानकारी मिली।
इस गिरोह ने तकनीकी साधनों का दुरुपयोग कर देशभर के हजारों बेरोजगारों को निशाना बनाया। पुलिस की सतर्कता और साइबर सेल की सूझबूझ से यह गिरोह बेनकाब हुआ। इस मामले से सीख लेते हुए लोगों को चाहिए कि वे किसी भी अनजान कॉल या वेबसाइट से सावधान रहें और ठगी से बचने के लिए नौकरी संबंधी सूचनाओं को सरकारी और विश्वसनीय स्रोतों से ही जांचें।
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