फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर मिली थी नौकरी
देहरादून के हर्रावाला क्षेत्र स्थित सावित्री शिक्षा निकेतन जूनियर हाईस्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति फर्जी डिग्रियों के आधार पर होने का मामला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ कि चार शिक्षक, जिनमें स्कूल के प्रधानाचार्य भी शामिल हैं, ने फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी हासिल की थी।
शिक्षकों के नाम और सेवा अवधि
बर्खास्त किए गए शिक्षकों में प्रधानाचार्य अजय सिंह, सहायक अध्यापक कौशलेंद्र, नीलम और सुनीता शामिल हैं। इनमें अजय सिंह और नीलम 1995 से, कौशलेंद्र 2002 से और सुनीता 2005 से विद्यालय में कार्यरत थे। इतने वर्षों तक बच्चों को शिक्षा देने के नाम पर ये शिक्षक फर्जी दस्तावेजों से सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करते रहे।
पहली शिकायत 2017 में हुई थी
इस मामले की पहली शिकायत वर्ष 2017 में एसआईटी को मिली थी, लेकिन विद्यालय समिति ने तब कोई कार्रवाई नहीं की। शिक्षा विभाग ने इसके बाद गढ़वाल के अपर निदेशक को प्रशासक नियुक्त किया और जांच का आदेश दिया। जांच के बाद चारों शिक्षकों को निलंबित किया गया और रायपुर खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच किया गया।
स्टे ऑर्डर के बाद भी जारी रही जांच
निलंबन के बाद अजय, नीलम और सुनीता ने हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर ले लिया, जिससे वे दोबारा विद्यालय में लौट आए। हालांकि, विभागीय जांच तब भी जारी रही और शिक्षा विभाग ने अंतिम निर्णय में इन्हें बर्खास्त कर दिया।
बीएड और बीपीएड डिग्रियों पर उठे सवाल
जांच में पता चला कि अजय सिंह, नीलम और सुनीता की बीएड डिग्रियां अवैध थीं। वहीं, कौशलेंद्र की नियुक्ति बीपीएड डिग्री के आधार पर हुई थी, जो जूनियर शिक्षक के लिए मान्य नहीं मानी जाती। बीएड या बीटीसी जैसी पात्रता अनिवार्य है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने दी पुष्टि
जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक) पीएल भारती ने जांच रिपोर्ट को सही ठहराते हुए कहा कि नियुक्तियों में गंभीर अनियमितता पाई गई है। डोईवाला के खंड शिक्षा अधिकारी ने चारों शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया।
छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए वैकल्पिक व्यवस्था
विद्यालय में कक्षा छह से आठ तक लगभग 60 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए पास के दो विद्यालयों से एक-एक शिक्षक को अस्थायी रूप से तैनात किया गया है।
फर्जी डिग्रियों पर सरकार की सख्ती
यह मामला शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकार अब ऐसे मामलों में सख्ती से पेश आ रही है। शिक्षा विभाग ने संकेत दिए हैं कि सभी निजी और सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की डिग्रियों की जांच की जाएगी।
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