देहरादून: केदारनाथ उपचुनाव के ऐलान से पहले बीजेपी ने भले ही पूरी ताकत झोंक दी हो, लेकिन सदस्य बनाने में बीजेपी के हाथ पांव फूल रहे हैं। सदस्यता अभियान के तहत 3000 नेताओं को सदस्य बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिन्होंने एक महीने में महज 17 हजार सदस्य ही बनाए हैं। जबकि पार्टी ने 30 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। केदारनाथ उपचुनाव के संयोजक भाजपा महामंत्री आदित्य कोठारी ने बताया कि आजकल पहाड़ी क्षेत्र में कामकाज का सीजन चल रहा है लोग इन दिनों फसलें निकलने में व्यस्त हैं।
लेकिन जैसे ही फसलीय सीजन खत्म हो जाएगा, उसके बाद बड़े पैमाने पर लोग बीजेपी के सदस्य बनेंगे। आगे उन्होंने कहा कि 1 दिन में 2000 सदस्य बन रहे हैं बीते रोज भी 2100 के करीब नए सदस्य बने हैं। 3 सितंबर से भाजपा का सदस्यता अभियान शुरू हुआ था जिसका पहला चरण समाप्त हो गया है। दूसरा चरण आज मंगलवार से शुरू हो गया है, दूसरे चरण में पार्टी ने मोर्चों को ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने का जिम्मा सौंपा है।
5 कैबिनेट मंत्री उतारे मैदान में
हाल ही में प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में हारी बीजेपी को डर इतना सता रहा है कि सरकार और संगठन की पूरी ताकत केदारनाथ में झोंक दी है। 5 कैबिनेट मंत्रियों को अलग-अलग मंडल का जिम्मा सौंपा है। जिसमें से तीन मंत्री सौरभ बहुगुणा, रेखा आर्य, गणेश जोशी केदारनाथ में प्रवास भी कर चुके हैं। जबकि सुबोध उनियाल और धन सिंह रावत प्रवास पर जाएंगे। यह सभी मंत्री स्थानीय जनता की समस्याओं को सुनेंगे।
6 अक्तूबर को मुख्यमंत्री धामी का कार्यक्रम
उपचुनाव के ऐलान से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी केदारनाथ में अपना दम दिखाएंगे। CM धामी का 6 अक्टूबर को कार्यक्रम प्रस्तावित है, जहां CM धामी बड़ी जनसभा को भी संबोधित करेंगे। इस बात की पुष्टि उपचुनाव संयोजक आदित्य कोठारी ने की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के कार्यक्रम को लेकर पार्टी कार्यकर्ता अभी से ही जुट गए हैं। बताया कि मुख्यमंत्री जहां बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे वहीं स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुनकर उसका निदान भी करेंगे।
केदारनाथ उपचुनाव बीजेपी की प्रतिष्ठा का सवाल
हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी की बद्रीनाथ और हरिद्वार की मंगलौर सीट पर हुई उपचुनाव में हार के बाद अब केदारनाथ सीट बचानी बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। चूंकि लोकसभा में अयोध्या सीट भी बीजेपी हार चुकी है, ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि यदि बीजेपी केदारनाथ में उपचुनाव हार जाती है तो पूरे देश में इसका नेगेटिव संदेश जाएगा। इसलिए केदारनाथ सीट बचानी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। प्रतिष्ठा इस बात से भी जुड़ी है क्योंकि केदारनाथ से प्रधानमंत्री सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसलिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है।
94 हजार के करीब मतदाताओं वाली केदारनाथ सीट में बीजेपी महज अबतक 17 हजार सदस्य ही बना पाई है, जबकि 3 हजार नेता और कार्यकर्ताओं की फौज सदस्य बनाने के लिए उतारी है। ऐसे में सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है की केदारनाथ में सदस्य बनाने के लिए बीजेपी के हाथ पांव फूल रहे हैं। हालांकि सदस्य बनाने का अभियान अभी भी जारी है।
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