हर्बल चाय के फायदे: डायबिटीज, वायरल से बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

हर्बल चाय का सेवन प्राचीन काल से स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता रहा है। कुमाऊं विश्वविद्यालय, उत्तराखंड ने अपने शोध में यह सिद्ध किया है कि पारंपरिक पुष्प एवं जड़ी-बूटियों से बनी हर्बल चाय न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि डायबिटीज और वायरल संक्रमण से भी बचाव करती है। इस अध्ययन के अंतर्गत 30 से अधिक औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की हर्बल चाय विकसित की गई है।

हर्बल चाय के प्रकार और उनके लाभ

1. एंटी-डायबिटिक हर्बल चाय

कई जड़ी-बूटियों में प्राकृतिक रूप से एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। कुमाऊं विवि द्वारा विकसित हर्बल चाय में मुख्य रूप से

  • गुड़मार,
  • दालचीनी,
  • गिलोय और
  • जामुन के बीज शामिल हैं। ये तत्व शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते हैं।

2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चाय

आज के समय में मजबूत इम्यून सिस्टम का होना बहुत जरूरी है। इस चाय में

  • अश्वगंधा,
  • तुलसी,
  • आंवला,
  • गिलोय और
  • हल्दी जैसी औषधियां मिलाई गई हैं। ये शरीर में एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा को बढ़ाकर बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं।

3. एंटी-वायरल हर्बल चाय

वायरल संक्रमणों से बचाव के लिए यह हर्बल चाय बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है। इसमें प्रमुख रूप से

  • काली मिर्च,
  • अदरक,
  • लौंग और
  • मुलेठी जैसी औषधियां होती हैं। इनमें प्राकृतिक एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमणों से सुरक्षित रखते हैं।

शोध के प्रमुख निष्कर्ष

कुमाऊं विवि ने वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च योजना के तहत इस शोध को अंजाम दिया है। शोध के दौरान वैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा यह प्रमाणित किया गया कि पारंपरिक जड़ी-बूटियों से बनी चाय स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी है।

जैव चोरी (बायोपायरेसी) की रोकथाम

उत्तराखंड की दुर्लभ जड़ी-बूटियां औषधीय गुणों से भरपूर हैं। वैज्ञानिकों ने डीएनए बारकोडिंग तकनीक का उपयोग कर इन जड़ी-बूटियों की प्रामाणिकता सुनिश्चित की है, जिससे मिलावट और जैव चोरी को नियंत्रित किया जा सकता है।

उत्तराखंड में नए अवसरों का निर्माण

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने इस शोध की सराहना करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड की समृद्ध औषधीय परंपरा को वैज्ञानिक आधार देगा और स्थानीय किसानों और उद्यमियों को नए व्यावसायिक अवसर प्रदान करेगा।

हर्बल चाय स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हो सकती है। यह शोध न केवल वैज्ञानिक प्रमाणिकता को सुनिश्चित करता है बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भी सहायक होगा।

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