अभिषेक बच्चन: ‘माता-पिता ही अच्छे शिक्षक हों जरूरी नहीं’

नई पीढ़ी की सोच पर अभिषेक की राय

अभिनेता अभिषेक बच्चन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी बेटी आराध्या की परवरिश और आज की युवा पीढ़ी के बदलते दृष्टिकोण के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी हर काम को नए और अनोखे तरीके से करना चाहती है। यह बदलाव न केवल उनके कार्य करने के तरीके में दिखाई देता है, बल्कि उनके सोचने के ढंग में भी झलकता है। अभिषेक का मानना है कि यह पीढ़ी अपनी परंपराओं का सम्मान करते हुए भी आधुनिकता के साथ तालमेल बिठाना बखूबी जानती है।

माता-पिता की भूमिका पर विचार

अभिषेक ने कहा, “यह जरूरी नहीं है कि माता-पिता ही सबसे अच्छे शिक्षक साबित हों।” उन्होंने स्पष्ट किया कि हर माता-पिता का अनुभव और ज्ञान भले ही अनमोल हो, लेकिन बच्चों को सीखने के लिए बाहरी दुनिया का अनुभव भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि हर बच्चा अपने जीवन में अलग-अलग लोगों से प्रेरणा लेता है और यह प्रक्रिया उसे संपूर्ण व्यक्ति बनाती है।

आराध्या की परवरिश पर ध्यान

अपनी बेटी आराध्या की परवरिश पर बात करते हुए अभिषेक ने कहा कि वे और ऐश्वर्या राय बच्चन दोनों यह सुनिश्चित करते हैं कि आराध्या को एक सामान्य बचपन का अनुभव मिले। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि वह अपनी उम्र के बच्चों की तरह जीवन का आनंद उठाए। हम उसे बड़े परिवार की परंपराओं और मूल्यों से परिचित कराते हैं, लेकिन साथ ही उसे अपने विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की आज़ादी भी देते हैं।”

युवा पीढ़ी की बदलती मानसिकता

आज की पीढ़ी के बारे में बात करते हुए अभिषेक ने कहा, “युवा अब केवल दूसरों के बताए हुए रास्तों पर चलने में विश्वास नहीं करते। वे खुद अपने रास्ते बनाना चाहते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि यह पीढ़ी तकनीकी और डिजिटल युग में पली-बढ़ी है, जिसके कारण उनकी प्राथमिकताएं और दृष्टिकोण पहले से काफी अलग हो चुके हैं।

पैरेंटिंग में संतुलन का महत्व

अभिषेक ने यह भी बताया कि माता-पिता के लिए बच्चों की परवरिश में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। “यह जरूरी है कि हम बच्चों को उनकी स्वतंत्रता दें, लेकिन साथ ही उन्हें यह भी सिखाएं कि स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी आती है,” उन्होंने कहा।

शिक्षा और अनुभव का मिश्रण

अभिषेक ने यह भी बताया कि शिक्षा का महत्व केवल किताबों तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, “जीवन के अनुभव सबसे बड़े शिक्षक होते हैं।” उन्होंने बताया कि माता-पिता के रूप में उनकी कोशिश यह है कि आराध्या को जीवन के हर पहलू का अनुभव हो, चाहे वह पारिवारिक मूल्यों का हो या बाहरी दुनिया के अनुभवों का।

अभिषेक बच्चन की इस बातचीत ने न केवल उनकी सोच को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि आज के माता-पिता कैसे पारंपरिक और आधुनिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह विचार हर माता-पिता के लिए प्रेरणादायक हो सकता है, जो बच्चों की परवरिश में सही मार्गदर्शन की तलाश में हैं

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