रेलवे लाइन पर रील बना रहे नाबालिग की करंट लगने से दर्दनाक मौत, परिजनों ने बिना सूचना दिए किया अंतिम संस्कार

रुड़की से दर्दनाक हादसे की खबर
उत्तराखंड के झबरेड़ा क्षेत्र से एक बेहद दुखद घटना सामने आई है, जहां रील बनाने की चाहत में एक 15 वर्षीय किशोर ने अपनी जान गंवा दी। यह घटना कोटवाल आलमपुर गांव के पास हुई, जहां किशोर अपने दोस्तों के साथ रेलवे लाइन के पास खड़ा होकर वीडियो रील बना रहा था। इसी दौरान उसका हाथ एक बिजली के खंभे से छू गया, जिससे उसे करंट लग गया।

रेलवे लाइन पर बन रही थी रील
बताया जा रहा है कि जहां यह घटना हुई, वहां नई रेलवे लाइन का निर्माण कार्य चल रहा है। सोमवार को मृतक किशोर, जो कोटवाल आलमपुर का रहने वाला था, अपने कुछ दोस्तों के साथ रेलवे लाइन के पास गया था। वहां उसने एक लोहे के खंभे के पास खड़े होकर रील बनाना शुरू किया। रील बनाते समय उसका संतुलन बिगड़ गया और उसका हाथ खंभे से लग गया, जिससे उसे जोरदार करंट का झटका लगा।

घटना के बाद मचा हड़कंप
करंट लगने के बाद किशोर गंभीर रूप से घायल हो गया और वहीं गिर पड़ा। उसके साथ मौजूद दोस्तों ने तुरंत परिजनों को इस हादसे की सूचना दी। परिजन मौके पर पहुंचे और आनन-फानन में उसे रुड़की के अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने हालत नाजुक देखते हुए उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया।

इलाज के दौरान तोड़ा दम
हायर सेंटर में किशोर का इलाज शुरू हुआ, लेकिन मंगलवार को उसकी हालत और बिगड़ गई। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद किशोर की जान नहीं बचाई जा सकी। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद पूरे गांव में शोक की लहर फैल गई।

बिना पुलिस को सूचना दिए कर दिया अंतिम संस्कार
हैरानी की बात यह रही कि परिजनों ने पुलिस को इस हादसे की जानकारी नहीं दी। किशोर का शव मंगलवार को ही गांव लाया गया और जल्दबाजी में अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। जब इस बारे में पुलिस से पूछा गया तो थाना प्रभारी अजय सिंह ने बताया कि उन्हें इस हादसे की कोई जानकारी नहीं दी गई है।

पुलिस जांच से अंजान, मामला दबाया गया
चूंकि पुलिस को इस मामले की जानकारी नहीं दी गई, इसलिए अभी तक कोई आधिकारिक जांच शुरू नहीं हो पाई है। यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि जिस खंभे से करंट लगा, वह रेलवे की देखरेख में था या किसी और विभाग का। बिना जांच के शव का अंतिम संस्कार किए जाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

रेलवे प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
जहां यह घटना हुई, वह क्षेत्र रेलवे लाइन निर्माणाधीन है। सवाल यह भी उठता है कि ऐसी जगहों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए? न तो खंभों पर चेतावनी बोर्ड लगे थे, न ही कोई सुरक्षा घेरा। ऐसे में किशोरों के वहां जाकर वीडियो बनाना खतरनाक तो था ही, लेकिन इसके लिए संबंधित विभाग की लापरवाही भी जिम्मेदार मानी जा रही है।

रील बनाने की लत बन रही जानलेवा
यह कोई पहली घटना नहीं है जब रील बनाते समय किसी की जान गई हो। सोशल मीडिया पर लाइक्स और फॉलोअर्स के पीछे भागते हुए युवा और किशोर अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं। कई बार ट्रेन की पटरियों, ऊंची इमारतों या जल विद्युत परियोजनाओं के पास जाकर रील बनाने की कोशिशें की जाती हैं, जो कि जानलेवा साबित होती हैं।

माता-पिता और समाज की भूमिका जरूरी
इस तरह की घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हमें बच्चों को सोशल मीडिया की लत से बचाने के लिए कुछ ठोस कदम नहीं उठाने चाहिए? माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें और उन्हें जागरूक करें कि हर रील जरूरी नहीं होती, लेकिन हर जिंदगी अनमोल होती है।

स्थानीय प्रशासन की चुप्पी भी चिंताजनक
हादसे के दो दिन बीत जाने के बावजूद स्थानीय प्रशासन या रेलवे विभाग की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न तो किसी जांच कमेटी की घोषणा हुई है, न ही किसी तरह की मुआवजे की बात सामने आई है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि ऐसे मामलों में गंभीरता का अभाव है।

समाप्ति: एक जान की कीमत
एक बार फिर रील बनाने की सनक ने एक मासूम की जान ले ली। यह केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की हार है, जो बच्चों को सही दिशा नहीं दे पाया। अब वक्त है जब सरकार, समाज, स्कूल और माता-पिता मिलकर इस दिशा में ठोस पहल करें ताकि आगे ऐसी कोई घटना न हो।

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