मुंबई इंडियंस की पारी में चौंकाने वाला मोड़
आईपीएल 2025 के एक अहम मुकाबले में लखनऊ सुपर जाएंट्स और मुंबई इंडियंस के बीच शुक्रवार को रोमांचक भिड़ंत देखने को मिली। लखनऊ ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 203 रन बनाए, लेकिन इस मैच का सबसे बड़ा चर्चा का विषय बना मुंबई के बल्लेबाज तिलक वर्मा का रिटायर्ड आउट होना। 19वें ओवर की आखिरी गेंद से ठीक पहले तिलक पवेलियन लौट गए, जिससे ना सिर्फ फैंस बल्कि उनके साथी खिलाड़ी भी चौंक गए।
तिलक का फैसला: रणनीति या मजबूरी?
जब तिलक वर्मा 23 गेंद में 25 रन बनाकर खेल रहे थे, तब कप्तान हार्दिक पांड्या से बात करने के बाद उन्होंने पवेलियन लौटने का फैसला किया। मुंबई को उस समय सात गेंदों में 24 रन की जरूरत थी। उनकी जगह आए मिचेल सैंटनर, जो आमतौर पर बड़े हिटर नहीं माने जाते। यह रणनीति टीम के लिए कारगर साबित नहीं हुई और मुंबई मुकाबला 12 रन से हार गई।
सूर्यकुमार, हरभजन और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
मैच के बाद सोशल मीडिया पर तिलक के रिटायर्ड आउट होने की जमकर चर्चा हुई। खुद सूर्यकुमार यादव मैदान पर कोच जयवर्धने से सवाल पूछते दिखे। हरभजन सिंह ने ट्वीट कर कहा, “इतना अहम समय था, वहां से एक सेट बल्लेबाज का हटना टीम को नुकसान दे सकता है।”
क्या कहती है नियमावली?
आईसीसी के नियम के मुताबिक कोई बल्लेबाज अगर अपनी मर्जी से मैदान छोड़ता है तो उसे “रिटायर्ड आउट” माना जाता है, और दोबारा बल्लेबाजी की अनुमति नहीं होती। यह नियम कम ही देखा गया है और आईपीएल में तिलक वर्मा चौथे खिलाड़ी बने जिन्हें इस तरह आउट घोषित किया गया।
हार्दिक पांड्या की सफाई
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में हार्दिक पांड्या से इस फैसले पर सवाल किया गया। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह टीम की रणनीति का हिस्सा था। हम आखिरी ओवर में बाएं हाथ के बल्लेबाज से गेंदबाज पर दबाव बनाना चाहते थे।” हालांकि इस रणनीति की विफलता के बाद टीम की आलोचना भी हो रही है।
फैंस ने उठाए सवाल
फैंस का कहना है कि जब तिलक सेट हो चुके थे और रन बना रहे थे, तब उन्हें बाहर भेजना समझ से परे है। ट्विटर पर कई फैंस ने इसे ‘मुंबई की सबसे बड़ी गलती’ करार दिया।
क्या यह ट्रेंड बनेगा?
आईपीएल में रिटायर्ड आउट की घटनाएं अब धीरे-धीरे बढ़ रही हैं, लेकिन इस फैसले ने बहस छेड़ दी है कि क्या ऐसा करना टीम के हित में होता है या यह बल्लेबाज की लय तोड़ता है।
निष्कर्ष: रणनीति और परिणाम के बीच उलझी मुंबई
तिलक वर्मा का रिटायर्ड आउट होना एक साहसी लेकिन जोखिम भरा फैसला था, जो अंततः टीम के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। क्रिकेट रणनीति में ऐसे प्रयोग आगे भी देखने को मिल सकते हैं, लेकिन हर प्रयोग का परिणाम सकारात्मक हो, यह जरूरी नहीं।
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